सुकमा में नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुये CRPF के जवानों के ऊपर कविता

मन विचलित है तन विचलित है, विचलित मेरी भाषा है.
धीरे धीरे धूमिल होती, मोदी जी से अब आशा है.

जो सैनिक लाचार खड़े है, अनुसाशन की राहो में.
हाथ बंधे है जिनके अक्सर, नियमो की शाखाओं में.

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जिसने देश के नाम लिखा दी, अपनी सारी जिंदगी.
घर छोड़ा परिवार को छोड़ा, छोड़ा खुदा की बन्दगी.

हाथो में बंदूक उठाये, विचरण करता रातो में.
देश कभी ना संकट में हो, यही बोलता बातो में.

देश खुदा है देश धरम है, देश की पूजा करता है.
रहे सलामत देश हमारा, इसीलिए वो लड़ता है.

जो सैनिक खतरे में रहकर, हमे बचाते मोदी जी.
जब उनकी बातें होती तो, कुछ ना कह पाते मोदी जी.

सुकमा में हुये हमले पर, कोई कदम उठाओ मोदी जी.
देश रहा है देख अभी, कोई तीर चलाओ मोदी जी.

आग लगी है देश मे कैसी, इसे बुझाओ मोदी जी.
सैनिक की मर्जी चलने दो, नियम हटाओ मोदी जी.

उस सैनिक के हाथ खोल दो, घुस कर मारे मोदी जी.
सैनिक के सम्मान के आगे, सारे हारे मोदी जी.

जो सैनिक दिन रात सुरक्षा, देश की करता मोदी जी.
दिन भर लड़ता दिन भर चलता, कभी न थकता मोदी जी.

उस सैनिक पर हाथ उठाने, वालों की अब खैर नही.
नक्सली सारे है आतंकी है, इन्हें मारना बैर नही.

फिर क्यो हम इन नक्सलियों के, भेद तोड़ ना पाते है.
अक्सर इनके जाल में फंसकर, सैनिक मारे जाते है.

उस सैनिक के घावों पर, मलहम ना लगाते मोदी जी.
हाथ बाँधकर सैनिक के, संसद में चिल्लाते मोदी जी.

लेकिन अब वो संकट में है, यही सदा बतलाते है.
“निन्दा करते” “निन्दा करते”, गृहमंत्री जी यही सुनाते है.

जेल भरे क्यो बैठे है हम, गद्दारो के टोली की.
चोर हरामी पिल्ले सारे, भाषा जिनकी गोली की.

राजनीति की बाते छोड़ो, तेवर बदलो मोदी जी.
उन पिल्लो को मरवाने का, ऑर्डर दे दो मोदी जी.

संगम मिश्रा

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