मैं आत्ममुग्ध एक बौना हूं जो नया रंग दिखलाऊंगा
अपने तो अक्सर हारा हूं अब राहुल को हरवाऊंगा
जो कभी नही चल पाया हो, मैं वो एक देसी कट्टा हूं।
तुम शीला जैसी कोमल है, और मैं तो एक थुकचट्टा हूँ।
कहने को मैं एक नेता हु, लाशो पर खेल खेलता हु
दिल्ली की मुझको खबर नही, अपनो को सिर्फ रेलता हु
मैं धूर्त चोर मक्कार बना, इसलिए सभी को खलता हु
कहने को तो मैं CM हु, गिरगिट सा रंग बदलता हु
आँखों मे धूल झोंककर मैं, मालिक दिल्ली का मंद बना
कुछ पैसो वोटों की खातिर, भारत का मैं जयचंद बना
कुछ फर्क नही पड़ता मुझको, इन भोले भाले लोगो का
मैं रहनुमा बस बना रहू, JNU वाले वोटों का
हर तरफ से मैं तो हारा हु, अब औरो को हरवाऊंगा
हिन्दू मुस्लिम को बाँट यहाँ, दंगा भी मैं करवाऊंगा
अपनो को ठोकर मारा जब, तब गुप्त दान मैं पाया हूं
भारत की जनता को धोखा, केवल देने मैं आया हु
मैं एक नंबर का नीच बना, U-टर्न में बीती जवानी है
लाखो की चाय मैं पीता हु, बस गिरगिट मेरी निशानी है
गोवा पंजाब असम दिल्ली, हर जगह मैं लड़कर आया हु।
जो थोड़ी इज्जत थी अपनी, उसे बीच बाजार लुटाया हु
इंसान ना मुझको समझो तुम, साँपो सा बस मैं ऐंठा हु
जिसको जीवन भर गाली दी, पैरों में उन्ही के बैठा हूँ
तुम पास मेरे जब आओगे, मैं मोहपाश में बाँधूँगा
तुम जितना दूध पिलाओगे, मैं उतना तुमको काटूंगा
इस बार अगर तुम सब मिलकर मुझको फिर जीत दिलाओगे
औरो का मुझको पता नही, मुझसे फिर धोखा खाओगे
जय हिंद
बेहतरीन
लाज़बाब
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