जब भी कहीं आनन-फानन में घूमने जाने का प्लान बनता है तो दिमाग में पहली जगह का नाम जो आता है वह होता है ऋषिकेश. जुलाई का महीना था, मैं और मेरा दोस्त हेमंत राज अचानक हरिद्वार और ऋषिकेश जाने का प्लान बनाए. वैसे तो मैं हरिद्वार ऋषिकेश हर महीने 2 महीने में बाइक पर जाता रहता हूं और इन जगहों को अच्छी तरह से जानता भी हूं लेकिन इस बार हम लोगों ने बस से जाने का प्लान बनाया क्योंकि एक तो समय का अभाव था, क्योकि बाइक से हमें दिन में चलाकर निकलना पड़ता वही बस में रात में ये सफ़र कर सकते है, दूसरा बारिश का मौसम होने के कारण बाइक के साथ थोड़ा फिसलने का डर बना रहता है.
ऋषिकेश
9 जुलाई 2016 शनिवार के दिन हमने अपने ऑफिस का काम निपटाया और हरिद्वार की बस पकड़ने के लिए ISBT दिल्ली की तरफ निकले. मेरा ऑफिस मोहन स्टेट दिल्ली में है इसलिए मेरी अधिकतर यात्राये मेरे ऑफिस से ही शुरू होती है. शाम को ऑफिस का काम निपटा कर हम दोनों मोहन एस्टेट से कश्मीरी गेट कि मेट्रो पकडे.
रात के 9 बजे हम कश्मीरी गेट पहुचे और बाहर ही एक रेस्टोरेंट में जाकर डिनर किया . खाना खाने के बाद हम ISBT बस अड्डे के इंक्वायरी काउंटर पर हरिद्वार के लिए बस का पता किया तो हमे तीन आप्शन मिले.
- नॉर्मल बस जिसका किराया 225 रूपये
- यूपी रोडवेज की जनरथ एसी बस जिसका किराया 355 रूपये
- वोल्वो बस जिसका किराया 700 से 1100 सौ रुपए के बीच में
हम लोगों ने यूपी रोडवेज की जनरथ बस में जाने के लिए फाइनल किया और टिकट काउंटर पर टिकट के लिए पहुचे तो काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने हमें बताया गया कि इस बस की सारी सीटें फुल हो चुकी हैं.
अब हम लोगों के सामने दो ऑप्शन थे,
- नॉर्मल बस
- वॉल्वो बस
खैर हरिद्वार के लिए 800-1000 रूपये वो भी सिर्फ बस का तो हम खर्च करने वाले थे नहीं, इसलिए हमने 225 रूपये की टिकट लेकर नॉर्मल बस में बैठे. रात के 10:30 बजे हमारी बस आईएसबीटी कश्मीरी गेट बस अड्डे से निकली, और निकलते ही ट्रैफिक जाम में फंसी जो कि मोदीनगर तक वह जाम चलता रहा.
गाजियाबाद मोदीनगर मैं अक्सर जाम लगा रहता है इसलिए अब हम लोग जब भी कोई प्लान बनाते उधर जाने का तो 1-2 जाम का भी लेकर चलते है. कश्मीरी गेट से चल कर हमारी बस सीधे खतौली मुजफ्फरनगर मैं एक ढाबे पर खाना खाने के नाम पर, 30 मिनट के लिए रुकी.
चुकि हम लोग पहले ही खाना खा चुके थे इसलिए इसलिए सिर्फ चाय पीकर वापस अपनी सीट पर आ गए. रात के इस समय जोरो से नींद आ रही थी लेकिन बस पहले से ही जाम में लेट हो चुकी थी इसलिए बस का ड्राइवर बस को बहुत तेजी से हार्न बजाते हुए चलाये जा रहा था, जिसमें घंटे 2 घंटे के लिए सोना भी बहुत मुश्किल था.
बस ड्राइवर एसटी तेजी से बस को चला और प्रेशर हॉर्न बजा रहा था कि हमने कई गाड़ियों को पास देने के नाम पर रोड से उतरकर पटरी पर रुकते हुए और रुकने के बाद हाथ निकाल कर पास देते हुए देखा. जहाज की स्पीड में बस को चलते हुए वह हमे रात के 3:30 बजे हरिद्वार बस अड्डे पर उतर दिया.
रात में सो न पाने के कारण हमने वही बस अड्डे के पास कमरे कि तलाश शुरू किया तो पता चला या तो होटल बंद है या फिर जो खुले है वो हमें मजबूर जानकर ज्यादा पैसा मांग रहे थे.
होटल की तलाश छोड़कर हम लोग हरिद्वार रेलवे स्टेशन रूम के वेटिंग रूम में पहुंचे और सोचा कि यहीं पर थोड़ी देर सो लेते हैं, लेकिन कहते हैं “होइहि सोइ जो राम रचि राखा” अथार्थ- जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा”
जैसे ही हम लोग सोने की कोशिश की है कि तभी कानों में एक आवाज गूंजी… “यात्रीगण कृपया ध्यान दें, हरिद्वार से चलकर दिल्ली को जाने वाली ट्रेन अपने निर्धारित समय से 15 मिनट देरी से 2 नंबर प्लेटफार्म पर आएगी. आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है” हम समझ गए कि अब यहां पर सोना मुश्किल है इसलिए क्यों न हर की पौड़ी की तरफ बढ़ा जाए.
रात के 4:00 बजे हम लोग हरिद्वार रेलवे स्टेशन से एक ऑटो रिक्शा लिए जिसने 40 रुपए में हमें हर की पौड़ी पर उत्तर दिया. वहा पर पहुंचने के बाद हम लोग गंगा जी के तट के किनारे पहुंचे और वहीं पर बैठ गए. हर की पौड़ी का माहौल बहुत ही भक्तिमय था, साथी गंगा जी की लहरें, मंदिर की घंटियों के साथ ताल से ताल मिला कर बज रही थी.
गंगा आरती
विडियो लिंक… https://youtu.be/v6hqs2TyOcM
हम लोग भी वही बैठकर गंगा जी कि सुबह वाली आरती का आनद लेने लगे. सारा तट भक्तिरस में डूबा हुआ था और जब सूर्योदय की पहली किरण वहां पर पड़ी तो वहां का माहौल एकदम अलोकिक और मंत्रमुग्ध हो गया. हम लोग भी उस समय के बंधन में खो गए (गंगा आरती की विडियो का लिंक निचे है, जरुर देखिये).
जब गंगा आरती खत्म हुई तब हम लोगों ने गंगा जी में नहाने का विचार बनाया, बारिश का मौसम होने के कारण गंगा जी का पानी मटमैला था साथ ही पानी की लहरे भी काफी तेज थी जिसकी वजह से लोग जंजीर पकड़कर नहा रहे थे, लेकिन मैं ठहरा गाँव का एक घुमक्कड़ आदमी जिसको नदियों और तालाबों में कूद-कूद कर नहाने की आदत हो वह भला चैन पकड़कर क्या नहायेगा. जब मैंने हेमंत राज को बोला कि मैं पुल से कूद कर नहाने जा रहा हु तो उसने बोला.. “पागल है क्या इतनी तेज पानी की लहर है बह जाएगा”, मैंने कहा छोड़ इसे मै इससे भी बहुत तेज पानी कि धारा जैसे सरयू-घाघरा-राप्ती जैसी नदियों में नहाया हुआ हूं और मुझे तेज लहरों में तैरने का अनुभव है.
मै और हेमंत
जब मैं पहली बार गंगाजी की लहरों में कूदा तो लोग लोगों को लगा कि शायद कोई गिर गया है लेकिन जब लोगों ने मुझे तैरते हुए देखा तो समझे कि ये तो नहा रहा है. मैं वहां पर थोड़ी देर तक नहाया और नहाने के बाद हम लोग मनसा देवी के दर्शन के लिए चल पड़े मनसा देवी हरिद्वार की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है और वहां पर जाने के लिए 3 रास्ते हैं
- मेन मार्केट से मनसा देवी मंदिर तक रोपवे बोले तो गंडोला जाता है जो अधिकतम 10 मिनट में आपको मंदिरमें पहुंचा देगा. रोपवे का एक तरफ का किराया 61 रूपये था लेकिन उसके बाहर लोगों की लंबी लाइन लगी हुई थी जिससे हम समझ गए कि यह रास्ता हमारे लिए बिल्कुल ही नहीं बना है.
- एक छोटा और पतला सा रास्ता मेन मार्केट से निकल कर सीधे मनसा देवी के मंदिर पर जाता है, जो करीब 4 या 5 किलोमीटर लंबा है और उस पर सिर्फ बाइक ही जा सकती है. अब बाइक तो हमारे पास थी नहीं इसलिए यह वाला रास्ता भी हमने छोड़ दिया.
- अब बचा तीसरा रास्ता.. जो कि मेन मार्केट से लेकर मंदिर तक सीधी सीढ़ियां बनी हुई है जो करीब 1 किलोमीटर लंबी है यह एक सीधी चढ़ाई है जो करीब 1 घंटे में मंदिर पर पहुंचा देता है
हम लोगों ने सीढ़ियों वाला रास्ता पकड़ा और करीब 1 घंटे में मंदिर पर पहुंचे उसके बाद हमने अपने बैग और जुते एक दुकानदार के पास रखा और उसी की दुकानदार से फूल और पूजा के सामान खरीद कर मंदिर के अंदर दाखिल हुए. मंदिर में कोई ज्यादा भीड़ थी इसलिए हम लोग आराम से दर्शन किए. दर्शन करने के बाद हम बाहर निकल कर आये जहा से हरिद्वार का दृश्य बहुत ही सुंदर दिख रहा था.
मनसा देवी मंदिर से हरिद्वार
मंदिर के बाहर हम दोनों थोड़ी देर रुके और कुछ फोटो खींचे उसके बाद निचे उतरकर वापिस हर की पौड़ी पर आए. वहां से हमने एक ऑटो रिक्शा लिया जो हमें हरिद्वार बाईपास पर छोड़ा और बाईपास से फिर हम लोगों ने एक ऑटो रिक्शा लिया, जिसने 50 रूपये में हमें लक्ष्मण झूला के पास छोड़ दिया.
अभी 1 घंटे पहले जब हम लोग हरिद्वार में थे तो मौसम एकदम साफ था और तेज गर्मी पड़ रही थी जबकि लक्ष्मण झूला पर पहुंचने के बाद हम लोग दंग रह गए क्योंकि ऋषिकेश मैं एकदम अंधेरा सा छाया हुआ था और लग रहा था कि जैसे कितनी तेज बारिश होने वाली है. हम लोग अभी ऑटो से उतरे ही थे कि तेज बारिश शुरू हो गई. हम भागकर किसी के बरामदे में शरण लिए और बारिश की बंद होने की प्रतीक्षा करने लगे.
पन्नी में लिपटा हुआ
जब बारिश थोड़ी से धीरे हुई तो हम लोग वहां से बाहर निकले और एक प्लास्टिक की पन्नी जो कि 20 रूपये में बिक रही थी उसको खरीदा और अपने शरीर के ऊपर से दाल लिया जिससे हल्की बारिश में थोडा बचाव हो जाये. लक्ष्मण झूला तक पहुचते-पहुचते बारिश भी बंद हो गई थी तो हमने पन्नी को उतार के बैग में वापस रख लिया, और लक्ष्मण झूला के ऊपर खड़े होकर तेज बहती हवाओं में हिलते हुए उस पल का आनंद लेने लगे.
डरावना मौसम
ऋषिकेश पूरा का पूरा बादलों से ढक गया था, साथ ही पुल के नीचे गंगा जी इतनी तेजी से बह रही थी जैसे अगर ट्रक भी उसमे गिर जाए तो कहा जायेगा इसका पता भी ना चले. ऋषिकेश और गंगा जी का यह रूप देखकर हमें थोड़ा-थोड़ा डर भी लग रहा था और प्रकृति की सुंदरता को देखकर आनंद भी आ रहा था. अब तक दोपहर के करीब 11:00 बजे गए थे और हमें भूख भी लगने लगी थी क्योंकि हम लोगों ने सुबह से कुछ भी खाया नहीं ना.
लक्ष्मण झूला से हम लोग पैदल ही राम झूला की तरफ बढे. एक जगह रास्ते में हमें एक ढाबा नजर आया जहां पर रुक कर हमने खाने के लिए थाली मंगाया. खाना बिल्कुल भी टेस्टी नहीं था फिर भी किसी तरह से आधा-अधुरा खा कर हम रामझूला की तरफ बढ़े. चुकि भूख अभी भी वैसी ही थी इसलिए एक जगह कुछ फल खरीदे और उसको खाते हुए राम झुला पहुंचे. राम झूला और लक्ष्मण झूला में कोई विशेष अंतर नहीं था, इसलिए हम लोगों ने कुछ फोटो खिंचा और वहां से एक ऑटो में बैठ कर त्रिवेणी घाट के लिए निकल पड़े.
त्रिवेणी घाट जाकर नहाने का मन था, लेकिन वहां पर गंगा जी की धारा बहुत तेज बह रही थी और उसे देखकर मन में दुविधा उत्पन्न हो रही थी कि नहाए या ना नहाये. खैर गंगा जी ने नहाने के लिए ही बुलाया है ये सोचकर मै पानी में कूद पड़ा. बहाव बहुत ही तेज था और पैर 2 फुट गहरे पानी में भी नहीं जम पा रहा था, इसलिए 2 डुबकी मारकर मै बाहर आ गया. उसके बाद त्रिवेणी घाट पर हम दोनों करीब आधा घंटा बैठे रहे. चुकि रात में हम दोनों सोये नहीं थे और हमे नींद भी आ रही थी तो हमने सोचा कि चलो वापस दिल्ली के लिए चलते है.
गंगा जी की तेज लहरे त्रिवेणी घाट पर
हम लोग त्रिवेणी घाट से पैदल चलते हुए बस अड्डे पर आए जो कि करीब करीब 2 किलोमीटर था. दोपहर के 2:00 बज रहे थे और हम लोग दिल्ली जाने के लिए बस की तलाश करने लगे तभी हमें यूपी रोडवेज की जनरथ एसी बस दिखाई दी. हम लोग जब टिकट के लिए उसके पास पहुंचा तो कंडक्टर बोला कि बस की सारी सीटें फुल हो चुकी है. अब फिर हमारे पास वापसी के लिए अंतिम रास्ता वही नॉर्मल वाली बस बची हुई थी जो हमने 255 रूपय में ऋषिकेश से दिल्ली के लिए पकड़ी जो दोपहर के करीब 3:30 बजे ऋषिकेश से चली.
ऋषिकेश से चली उस बस की स्पीड ऐसी थी जैसे लग रहा था कि बैलगाड़ी भी इससे तेज चलती है, खैर धीरे धीरे चलती हुई वह बस दिल्ली बस अड्डे पर हमें रात के 11:00 बजे पहुचाई. बस अड्डे पर उतरने के बाद हम दोनों कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर पहुचे और वहां से हमने अपने अपने घर जाने के लिए मेट्रो पकड़ लिया. इस तरह रात के करीब 12:30 बजे हमलोग अपने-अपने घर पहुंच गए हैं. इस पूरी यात्रा में हम दोनों लोगों का कुल मिलाकर 2000 रूपये का खर्चा आया.

गंगा आरती हर कि पौड़ी हरिद्वार

गंगा आरती हर कि पौड़ी हरिद्वार

हर कि पौड़ी हरिद्वार

हर कि पौड़ी हरिद्वार

मनसा देवी

हर कि पौड़ी हरिद्वार

हर कि पौड़ी हरिद्वार

मनसा देवी हरिद्वार

मनसा देवी हरिद्वार

मनसा देवी हरिद्वार

मनसा देवी हरिद्वार

हर कि पौड़ी हरिद्वार

बारिश में बचते हुए , ऋषिकेश

लक्ष्मण झूला के पास

लक्ष्मण झूला के पास

लक्ष्मण झूला

लक्ष्मण झूला

लक्ष्मण झूला ऋषिकेश

लक्ष्मण झूला ऋषिकेश

लक्ष्मण झूला ऋषिकेश

लक्ष्मण झूला ऋषिकेश

लक्ष्मण झूला ऋषिकेश

लक्ष्मण झूला ऋषिकेश

त्रिवेणी घाट ऋषिकेश

त्रिवेणी घाट ऋषिकेश

लक्ष्मण झूला ऋषिकेश

राम झूला ऋषिकेश
बस या रेल का किराया और खाना, इस खर्च से आसानी से काम हो जाता है।
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सही कहा भाई
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भैया बहुत सस्ते में निपटा लिये ।।
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Very Nice story
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