उसके चेहरे की एक झलक, मुझको जन्नत दिखलाती है.
उसके आने की खुशबु भी, एक नई बसन्त ले आती है.
जब दर्द दिलो में होता है, आखो से धारा बहती है.
सब ताने सुनती है दिन भर, लेकिन कुछ भी ना कहती है.
यादे उसकी विचलित करती, रातो को मुझे जगाती है.
बेचैनी में उठ जाता हूं, फिर नींद ना मुझको आती है.
मै रात-रात भर जाग रहा, क्यों नींद नहीं है आँखों में.
उसने पागल कर रखा है, अब मिल जाना मुझे खांको में.
है भरा बचपना यौवन में, कोयल सी बातें करती है.
लेकिन कितनी पागल है वो, जब मिलती है तब लड़ती है.
उसके चेहरे की चमक देख, चंदा-सूरज शरमाता है.
आँखो की मस्ती देख-देख, मेरा दिल उस पर ही आता है.
बादल सी बन कर आती है, सावन सा प्यार लुटाती है.
कुछ पल रहती है साथ मेरे, फिर बदली में छुप जाती है.
कोई काश उसे समझा देता, मेरे लबो की उस परिभाषा को.
बतला देता-दिखला देता, मेरी चाहत की उस आशा को.
ये प्यार मोहब्बत धोखा है, इस दुनिया ने सिखलाया है.
सदियों-सदियों तक लोगो ने, हर आशिक को मरवाया है.
मिलने की कसमें खाती है, लेकिन ना मिलने आती है.
कैसे इस दिल को समझाऊ, अब याद ना उसकी जाती है.
पहले भी चुप थी अब भी चुप है, जाने क्या मजबूरी है.
मिलने पर वो ना पहचाने, क्या अब भी प्यार जरुरी है.
तेरे आंसू सारे झूठे थे, तेरा प्यार जताना झूठा था.
ना तू आयी ना खबर तेरी, और सावन भी ये रूठा था.
सवालो जवाबो के चक्कर मे तुम भी, मोहब्बत के सारे फ़साने छुपाये.
मिली थी वो कल लेकिन देखा ना मुझको, तुम्ही अब कहो कैसे दिल मे बसाये.
…संगम मिश्रा