जन मानस की ना कोई चिंता, जाम छलकता प्यालो में
देखो कैसे खेल खेलता, सत्ता के गलियारों में
जातिवाद का जहर पिलाकर, महल वहाँ बनवाया था
अपनी सत्ता बनी रहे, इसलिए जाल फैलाया था
हिन्दू मुस्लिम लड़े हमेशा, मन्त्र ये ऐसा फुक दिया
कहने को तो हिन्दू था, संतो के मुह पर थूक दिया
थूक दिया संतो के ऊपर, और खड़ा मुस्काया था
खोज खोज कर तीर नये से, उन सब पर चलवाया था
हिन्दू होकर बाबर की, भाषा सबको दिखलाया था
श्रीराम चंद्र के भक्तों पर, इसने गोली चलवाया था
गोली चलवाकर ये सारे, फिर मन्द मन्द मुस्काये थे
देखो झोली में कितने वोट, ये आज वहाँ से लाये थे
अपनी रुतबे को जाता देख, अखिलेश को आगे लाया था
हर युवा जुड़े और वोट भी दे, इसलिए ताज पहनाया था
उस ताज को पाते ही देखो, उसने भी तीर चलाया था
हिन्दू को एक किनारे कर, बस मुस्लिम को अपनाया था
मिली विरासत में सत्ता का, राजकुवंर बन बैठा था
धर्म सनातन भूल गया, सांपो की माफ़िक़ ऐंठा था
भूल गया ये लोकतंत्र है, नहीं यहां कोई राजा है
सबको अपना नौकर समझे, ऐसा नही विधाता है
सत्ता तो आती जाती है, लोकतंत्र की सेवा में
लेकिन ये तो लगा हुआ था, खाने केवल मेवा में
खाने केवल मेवा में और, वंशवाद को बढ़ाया था
जहाँ जहाँ तक हो सकता, अपनों को खीर खिलाया था
इसके सारे भाई बंधू, सत्ता को कब्जाए थे
रहा हमेशा राज्य ये पीछे, ऐसी आग लगाये थे
नित नित करके नये घोटाले, सब मिल चांदी काटे थे
जनहित के पैसे को ये सब, आपस मे मिल बाँटे थे
इसको जब ये पता चला, यूपी को जीत ना पायेगा
तब पप्पू से हाथ मिलाया, ताक़त अब दिखलायेगा
घर परिवार में झगड़ा करके, ये मैसेज दिलवाया था
गलती हो तो बाप छोड़ दु, सबको यही बताया था
लेकिन दुनिया कैसे सहती, लोकतंत्र के गुंडों की
बटन दबाकर बाहर फेंकी, वंशवाद के झुंडों की
इसलिए लोगो ने इसको, कुर्सी से फिर हटा दिया
सत्ता के पैरों में गिराकर, वोटो का रंग दिखा दिया
योगी जी के रूप में देखो, रामराज्य फिर आया है
यूपी अब खुशहाल हुआ है, सन्यासी जो पाया है
उत्तर को अब उत्तम कर दे, लोगो को खुशहाल करे
दुश्मन चाहे जो कोई हो, आओ सब मिल सँग लड़े
— संगम मिश्रा